गुरुवार, 12 फ़रवरी 2009

सोन महोत्सव - रोहतास के बिते हुए गौरव को वापस लाने का प्रयास

आज कल रोहतास पुलिस खासकर एस पी विकास वैभव के द्वारा सोन महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। सोन महोत्सव के जरिए रोहतास के सोन वैली एवम कैमुर के पहाड़ी इलाको के लोगो मे जागरुकता लाने की कोशिश कि जा रही है। इस महोत्सव के जरिये रोहतास के अत्यंत समृद्धशाली इतिहास और सांस्कृतिक विशेषताओं के बारे मे लोगो को बताया जाएगा।
इसके जरिये प्लान है कि विभिन्न स्थलों पर सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएगें। विभिन्न स्थलॊं पर कैंप लगा कर गरिबॊ मे दवा, कंबल एवं अन्य उपयोगी सामग्रीयों का वितरण किया जयेगा।
रोहतास के नौहट्टा मे इस सोन महोत्सव का शुरुआत जनवरी के पहले सप्ताह मे हो चुका है। इस महोत्सव का आयोजन तिलौथु और नासरीगंज मे भी किया गया। सोन के किनारे के गावों के लोगो ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया।

सबसे अच्छी बात ये है कि इस महोत्सव मे नेताओं से दुर ही रखा गया है। एसपी विकास वैभव खुद इस सोन महोत्सव को अपने नेतृत्व मे आयोजित कर रहे हैं। लोगों मे खास कर कैमुर के पहाड़ी एवम तराई के इलाको मे काफी आत्मविश्वाश बढ़ा है। कुछ दिन पहले तक ये इलाका नक्सलियों के चंगुल मे था। सोन महोत्सव का उद्देश्य सभी को एक साथ जोड़कर पुलिस-पब्लिक के बीच बनी खाई को पाटने की एक कोशिश है। पर्यटन के लिहाज से कैमुर पहाड़ बहुत ही उपयुक्त है। मैं बचपन के कुछ दिन कैमुर के पहाड़ी इलाकों मे बिताये हैं, जब डालमियानगर का सिमेंट फैक्टरी चालु था।
आज के दिन मे नक्सलियों के प्रभाव के कारण उन इलाकों मे जाना मुस्किल है। उम्मिद है कि विकास वैभव के प्रयासों के द्वारा इलाके कि रौनक फिर से लौट आये और हमलोग पिकनिक मनाने रोहतासगढ़ किला, महादेव खोह, गुप्ताधाम, धुआँ कुंड इत्यादि जगहों पर जा सकें।
सोन महोत्सव का समापन समारोह फरवरी मे रोहतासगढ़ किला पर होगा। पुरे जिला भर के लोग भारी संख्या मे रोहतास किला पर एकत्रित होगें। ये प्रयास नक्सलियों के गाल पर एक जबरदस्त तमाचा होगा। नक्सलियों ने इस इलाके को बरबाद कर दिया वर्ना जरा सोचिये, एक तरफ विशाल सोन नदी और दुसरी तरफ झरनों और छोटी छोटी नदियों से भरा कैमुर का पहाड़। ट्रेकिंग, पिकनिक और लांग विकेंड बिताने के लिए बिहार मे इससे अच्छा जगह कहां मिलता।
काश! मैं भी इस समारोह मे सामिल हो सकता! ये आईटी का स्लो डाउन और बंगलोर से दुरी रोक रखा है, वर्ना रोहतासगढ़ किला पर पहुच ही जाते।