दोस्तों मैं भी अपना और अपने गाँव देहात का बात ब्लॉग पर रखना चाह रहा था। उसी उद्देश्य असे मैंने ये ब्लॉग बनाया है। उम्मीद है मैं इस ब्लॉग के द्वारा गाँव देहात की बातें आप तक पंहुचा सकूँगा। मेरी हिन्दी भाषा पर पकड़ उतनी मजबूत अथवा यूं कहिये की एक दम नहीं है। इसलिए मेरी लेखनी में त्रुटी हो टू मुझे माफ़ करेंगे। इसके अंदर की गहराई को पढिएगा और भाषा सम्बन्धी दोषों को ध्यान मत दीजियेगा।
धन्यवाद
उपाध्यायजी
कहानी जूता और पॉलिश की
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कहानी जूता और पॉलिश की :
इस जूते की एक कहानी है । जब ये नया था , फरवरी 2014 में नोएडा के एक विश्व
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5 वर्ष पहले
3 टिप्पणियां:
नमस्कार। अच्छा लिखते हैं आप और सबसे बड़ी बात यह है की आप समाजिक बुराइयों (ऊपर वाला लेख भी पढ़ा)पर करारी चोट करते हैं। लिखते रहे।
एक और प्रार्थना है जब आप ने टिप्पणी मॉडरेशन सक्षम किया हुआ है तो वर्ड वेरिफिकेशन की क्या आवश्यकता है। क्योकि सारी टिप्पणियाँ तो आपके देखने के बाद ही पाठकों को दिखेंगी।
बढ़िया है. आप भाषा का भय मत खाइए, बस लिखते रहिये....शुद्धि-अशुद्धियों के लिए याद करिएगा. हम सब मिलकर सुधारेंगे.......कहिये क्या ख्याल है??
गाँव देहात से भागा , शहर से उबा हुआ .गाँव देहात शब्द सुन कर भागा आया है .साथ में शुभकामना और बधाई साथ लाया है .स्वीकार करिए . जय हो ! जय हो !!
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